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बुनकर और हाथी – The Weaver and the Elephant

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The Weaver and the Elephant

पुराने समय की बात है, एक गाँव में एक बुनकर रहता था। वह अपनी मेहनत से कपड़े बनाता और बेचकर अपना गुज़ारा करता था। वह ईमानदार और मेहनती था, लेकिन उसकी स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं थी। उसका मन हमेशा किसी उपाय की खोज में रहता था जिससे उसकी गरीबी दूर हो सके।

एक दिन बुनकर जंगल की ओर जा रहा था कि उसने एक विशाल हाथी को देखा। यह हाथी राजा का पालतू था और उसे बहुत अच्छा प्रशिक्षण मिला हुआ था। बुनकर ने सोचा, “अगर मैं इस हाथी का इस्तेमाल करके अपना व्यापार बढ़ा लूं, तो मेरी गरीबी दूर हो सकती है।” यह विचार उसके मन में बैठ गया।

वह राजा के पास गया और निवेदन किया, “महाराज, यदि आप कृपा करके मुझे अपना हाथी दे दें, तो मैं उसका सही उपयोग करूंगा और अपना व्यापार बढ़ाऊंगा।”

राजा को बुनकर की बात समझ में आई। उसने सोचा कि हाथी बुनकर के काम आ सकता है और बुनकर की मदद हो जाएगी। इसलिए उसने हाथी बुनकर को दे दिया। बुनकर खुश हुआ और हाथी के साथ घर लौट आया।

अगले दिन बुनकर ने हाथी को कपड़े के गठरियाँ उठाने के लिए इस्तेमाल किया। वह बाजार जाने लगा, जहाँ उसने पहले से अधिक कपड़े बेचे, क्योंकि अब उसे सामान ले जाने की चिंता नहीं थी। धीरे-धीरे उसकी संपत्ति बढ़ने लगी, और वह संपन्न हो गया।

लेकिन जैसे-जैसे उसकी संपत्ति बढ़ी, बुनकर में घमंड आ गया। उसे लगा कि उसकी सफलता केवल उसकी बुद्धि और मेहनत की वजह से है। उसने सोचा कि हाथी का अब कोई महत्व नहीं है और उसे बेचकर और पैसा कमा लिया जाए।

एक दिन, बुनकर हाथी को बेचने के इरादे से बाजार ले जा रहा था। रास्ते में, हाथी ने देखा कि बुनकर के व्यवहार में बदलाव आ गया है। उसने सोचा, “यह व्यक्ति मुझे बेचने जा रहा है, जबकि मैंने इसके लिए इतना काम किया है।” हाथी को दुख हुआ, और उसने क्रोधित होकर बुनकर को अपनी सूंड में लपेटकर दूर फेंक दिया।

बुनकर ने गिरकर बहुत चोट खाई और समझा कि उसने लालच के कारण अपना सबसे बड़ा सहायक खो दिया है। वह पछताया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हाथी ने उसे छोड़ दिया और जंगल में वापस चला गया।

सीख:

लालच और घमंड हमें अपने सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों और साधनों से दूर कर सकता है। हमें हमेशा कृतज्ञता और नम्रता से व्यवहार करना चाहिए।

पंछी और बंदर – The Bird and the Monkey

The Bird and the Monkey
The Bird and the Monkey

एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक पेड़ पर पक्षियों का एक जोड़ा रहता था। उन्होंने पेड़ की ऊँची शाखाओं पर घोंसला बनाया था और वहीं आराम से रहते थे। वहीँ पास ही एक बंदर भी रहता था, जो पेड़ की एक शाखा पर दिनभर मस्ती करता और शाम होते ही किसी सुरक्षित जगह पर जाकर सो जाता था।

एक दिन बारिश का मौसम आया। जोर-जोर से बारिश होने लगी और ठंडी हवाएँ चलने लगीं। पक्षियों का जोड़ा अपने घोंसले में आराम से बैठा हुआ था। उन्हें बारिश से कोई परेशानी नहीं हो रही थी। लेकिन बंदर का हाल बुरा हो गया। वह बारिश में भीग गया और काँपते हुए एक शाखा से दूसरी शाखा पर कूदने लगा। उसे कहीं भी शरण नहीं मिल पा रही थी।

पक्षी ने यह सब देखा और उसे बंदर पर दया आ गई। उसने सोचा कि बंदर हमेशा इधर-उधर कूदता रहता है, लेकिन उसने कभी अपने लिए एक स्थायी घर बनाने की कोशिश नहीं की। पक्षी ने कहा, “बंदर भाई, तुम इतने बड़े और ताकतवर हो। तुम्हें बारिश और ठंड से बचने के लिए एक अच्छा घर बना लेना चाहिए था। देखो, हमने कितनी मेहनत से यह घोंसला बनाया है, ताकि हमें कोई परेशानी न हो।”

बंदर ने पक्षी की बात सुनी और गुस्से से भर गया। उसने सोचा कि यह छोटा सा पक्षी उसे सिखा रहा है! उसने कहा, “तुम अपने काम से काम रखो। मुझे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है!”

बंदर गुस्से में आया और पेड़ की उस शाखा की ओर बढ़ा, जहाँ पक्षी का घोंसला था। उसने आव देखा न ताव और अपने बड़े हाथों से घोंसले को उखाड़ फेंका। बेचारा पक्षी अपने घोंसले को टूटता हुआ देखता रह गया। बंदर ने अपनी ताकत दिखाई, लेकिन उसने अपनी समस्या का समाधान नहीं किया।

अब बारिश में भीगकर और काँपते हुए बंदर नीचे पेड़ की जड़ के पास बैठ गया। पक्षी और उसकी साथी को रात भर खुले में ठंड और बारिश में गुजारनी पड़ी।

सीख:

बिना सोचे-समझे क्रोध में आकर दूसरों को नुकसान पहुँचाना न सिर्फ उनकी परेशानी बढ़ाता है, बल्कि हमें भी हानि पहुँचाता है। हमें समझदारी से सलाह को अपनाकर अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करना चाहिए।

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