यहां पर हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं “Moral Stories for Children’s in Hindi”—जो बच्चों के नैतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण कहानियों का संग्रह है। इन कहानियों के माध्यम से बच्चे जीवन के अनमोल सिद्धांतों को सीख सकते हैं, जैसे सच्चाई, ईमानदारी, मेहनत, और सहनशीलता। हर कहानी सरल हिंदी में लिखी गई है, ताकि बच्चे आसानी से समझ सकें और इनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन में अच्छे गुणों को अपना सकें। Moral Stories for Children’s in Hindi बच्चों को रोचक और मनोरंजक तरीके से सही मार्ग दिखाने का एक बेहतरीन तरीका है।
नीलकंठ सियार – The Blue Jackal

बहुत समय पहले की बात है, जंगल में एक भूखा सियार भटक रहा था। खाने की तलाश में वह इधर-उधर घूम रहा था, लेकिन उसे कहीं भोजन नहीं मिल रहा था। भूख से बेचैन होकर वह एक गांव की ओर निकल पड़ा। गांव में पहुंचते ही उसे कुत्तों के झुंड ने देख लिया और वे उसे देखकर भौंकने लगे। सियार जान बचाने के लिए भागा और भागते-भागते एक रंगरेज के घर में जा घुसा। वहां एक बड़ी हांडी में नीला रंग घुला हुआ था। सियार जैसे ही हांडी में गिरा, वह सिर से पांव तक नीला हो गया।
सियार रंगरेज के घर से निकलकर जब जंगल में पहुंचा, तो उसकी नीली चमड़ी देखकर सभी जानवर उसे पहचान नहीं पाए। सियार ने मौके का फायदा उठाते हुए घोषणा कर दी, “जंगल के जानवरों, सुनो! मुझे भगवान ने खास तौर पर तुम्हारे राजा के रूप में भेजा है। अब मैं ही तुम सभी का राजा हूं।”
सियार की बात सुनकर सभी जानवर उसकी आज्ञा मानने लगे। बड़े-बड़े शेर, हाथी, भालू, और भेड़िये भी उसके सामने सिर झुकाकर खड़े हो गए। सियार अब जंगल का राजा बन गया। उसे कोई चिंता नहीं थी। रोज़ शिकार करने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि अब दूसरे जानवर उसे भोजन लाकर देते थे। वह आराम से दिन बिता रहा था।
लेकिन कुछ दिनों बाद सियार को अपने ही समुदाय की याद आई। एक रात जब सभी जानवर सो रहे थे, तब कुछ सियारों का झुंड जंगल में आकर हुआँ-हुआँ की आवाज़ में रोने लगा। अपने साथियों की आवाज़ सुनकर सियार से रहा नहीं गया और वह भी ज़ोर-ज़ोर से हुआँ-हुआँ करने लगा। उसकी असली आवाज़ सुनकर शेर, हाथी, और बाकी जानवर समझ गए कि उनका राजा कोई और नहीं बल्कि एक सियार था। सभी जानवर उस पर गुस्से में आ गए और मिलकर उसे मार डाला।
कहानी से शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि झूठ और धोखे का जीवन अधिक समय तक नहीं चलता। वास्तविकता एक दिन सामने आ ही जाती है।
कबूतर और चूहा – The Doves and the Mouse

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में कबूतरों का एक झुंड रहता था। उनका राजा बहुत समझदार था। रोज की तरह एक दिन कबूतरों का झुंड भोजन की तलाश में उड़ान भर रहा था। उड़ते-उड़ते उन्हें नीचे जमीन पर कुछ चावल बिखरे हुए दिखाई दिए। राजा कबूतर ने सोचा, “चावल तो मिल गए हैं, लेकिन इनका यहां बिखरा होना थोड़ा संदिग्ध लग रहा है। हमें सतर्क रहना चाहिए।” लेकिन भूखे कबूतरों ने राजा की बात अनसुनी कर दी और जल्दी-जल्दी नीचे उतरकर चावल खाने लगे।
जैसे ही कबूतरों ने चावल खाना शुरू किया, वे सभी एक जाल में फंस गए। सभी कबूतर फड़फड़ाने लगे, लेकिन जाल से निकल नहीं सके। अब उन्हें समझ में आ गया था कि यह एक शिकारी का जाल था। शिकारी उन्हें फंसाने के लिए यह चालाकी से चावल बिखेर कर गया था।
कबूतरों का राजा बहुत बुद्धिमान था। उसने अपने सभी साथियों से कहा, “डरने की कोई बात नहीं है। अगर हम सभी एक साथ मिलकर उड़ेंगे, तो हम इस जाल को लेकर ही उड़ सकते हैं। एकता में बहुत ताकत होती है।”
राजा कबूतर की बात मानकर सभी कबूतर एक साथ पूरी ताकत से उड़ान भरने लगे। उनकी एकता की ताकत से वे जाल को लेकर आकाश में उड़ गए। शिकारी दौड़कर आया, लेकिन तब तक कबूतर जाल समेत आसमान में दूर जा चुके थे। शिकारी उन्हें पकड़ नहीं सका।
थोड़ी दूरी पर जाकर राजा कबूतर ने अपने मित्र, चूहे के पास जाने का फैसला किया। वह चूहा राजा का बहुत करीबी दोस्त था और बहुत चतुर था। जब कबूतरों का झुंड चूहे के पास पहुंचा, तो राजा कबूतर ने उससे मदद मांगी।
चूहे ने तुरंत अपने तेज दांतों से जाल को कुतरना शुरू किया। थोड़ी ही देर में उसने पूरा जाल काटकर कबूतरों को आजाद कर दिया।
सभी कबूतरों ने मिलकर चूहे का धन्यवाद किया और फिर खुशी-खुशी अपने रास्ते चले गए।
कहानी से शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता में बहुत ताकत होती है और सच्चे मित्र हमेशा कठिन समय में साथ देते हैं।
कौआ और सांप – The Crow and Serpent

बहुत समय पहले की बात है, एक विशाल पेड़ पर एक कौआ और उसकी पत्नी रहते थे। दोनों अपने घोंसले में खुशी-खुशी रहते थे। हर साल कौआनी अंडे देती और दोनों मिलकर अपने बच्चों की देखभाल करते। लेकिन उसी पेड़ के तने के एक छेद में एक क्रूर और भयानक सांप रहता था।
जैसे ही कौआनी अंडे देती, सांप उस छेद से निकलता और कौए के सारे अंडे खा जाता। इस कारण कौआ और कौआनी बहुत दुखी रहते थे। वे दोनों बार-बार अंडे देते, लेकिन हर बार सांप उन्हें खा जाता।
एक दिन कौआ अपनी पत्नी से बोला, “अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हम कभी अपने बच्चों को नहीं देख पाएंगे। हमें इस सांप से छुटकारा पाना होगा।”
कौआ और कौआनी ने बहुत सोच-विचार किया और फिर कौआ ने एक चालाक योजना बनाई। वह उड़कर राजा के महल की ओर गया। महल के बगीचे में राजा और रानी का नहाने का स्थान था। कौआ ने वहां जाकर देखा कि रानी अपने कपड़े और आभूषण उतारकर स्नान कर रही थी।
कौआ ने मौका देखकर रानी का एक कीमती हार उठाया और उसे अपने घोंसले की ओर ले गया। उड़ते हुए उसने राजा के सेवकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, ताकि वे उसे देख सकें। सेवक चिल्लाते हुए कौए के पीछे दौड़े। कौआ जानबूझकर धीरे-धीरे उड़ रहा था ताकि सेवक उसका पीछा कर सकें।
कौआ उड़ता हुआ पेड़ के पास पहुंचा, जहां उसका घोंसला था। उसने हार को उस पेड़ के नीचे वाले छेद में गिरा दिया, जहां सांप रहता था। सेवक जब वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि हार एक सांप के बिल में गिरा हुआ था। सेवकों ने तुरंत उस छेद को खोदकर सांप को मार डाला और हार वापस ले गए।
इस प्रकार, कौए और कौआनी ने अपनी चतुराई से उस सांप से छुटकारा पा लिया और फिर से अपने अंडों की रक्षा कर सके।
कहानी से शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि चतुराई से काम लेने पर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
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