किसी भी उम्र में बच्चों के लिए कहानियाँ सुनना एक सुखद अनुभव होता है। खासकर क्लास 2 के बच्चों के लिए छोटी नैतिक कहानियाँ (Class 2 Short Moral Stories in Hindi) न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाती हैं। ये कहानियाँ सरल भाषा और रोचक पात्रों के माध्यम से बच्चों में ईमानदारी, मित्रता, और साहस जैसे गुणों का विकास करती हैं। आइए, इन कहानियों के माध्यम से बच्चों को नैतिक शिक्षा दें!
ईमानदार लकड़हारा – Honest Woodcutter

एक गाँव में एक ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह हर दिन जंगल जाकर पेड़ काटता और लकड़ियाँ बेचकर अपना गुज़ारा करता था। एक दिन, जब वह लकड़ियाँ काट रहा था, उसकी कुल्हाड़ी हाथ से फिसलकर पास के नदी में गिर गई। लकड़हारा बहुत दुखी हो गया क्योंकि वह बहुत गरीब था और उसके पास नई कुल्हाड़ी खरीदने के पैसे नहीं थे।
वह नदी किनारे बैठकर रोने लगा। तभी, अचानक नदी में से एक देवता प्रकट हुए। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “तुम क्यों रो रहे हो?”
लकड़हारे ने पूरी बात बताई। देवता ने नदी में गोता लगाया और सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारे ने ईमानदारी से कहा, “नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
फिर देवता ने दूसरी बार गोता लगाया और चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आए। उन्होंने फिर से पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारे ने फिर से कहा, “नहीं, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।”
आखिर में देवता ने तीसरी बार गोता लगाया और लकड़हारे की पुरानी लोहे की कुल्हाड़ी लेकर आए। उन्होंने पूछा, “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”
लकड़हारे ने खुश होकर कहा, “हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है!”
देवता उसकी ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुए और उसे सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी उपहार में दे दी। लकड़हारा खुशी-खुशी अपने गाँव लौट आया और ईमानदारी की महिमा सभी को बताई।
कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी सबसे बड़ा गुण है। जब हम सच बोलते हैं और अपनी सच्चाई पर कायम रहते हैं, तो हमें जीवन में सफलता और पुरस्कार मिलते हैं। ईमानदारी न केवल हमें दूसरों का विश्वास दिलाती है, बल्कि हमारे भीतर आत्म-सम्मान और संतोष भी बढ़ाती है।
इसलिए हमेशा सच बोलें और अपनी ईमानदारी को बनाए रखें!
बगुला और केकड़ा – The Heron and the Crab

किसी गांव के पास एक तालाब था, जिसमें मछलियां, मेंढक, और एक केकड़ा रहता था। उस तालाब के किनारे एक बुढ़ा बगुला रहता था। बुढ़ापे के कारण वह मछलियां पकड़ने में असमर्थ हो गया था, इसलिए वह भूखा रहने लगा। उसे कोई उपाय सूझ नहीं रहा था कि अब पेट कैसे भरे।
एक दिन बगुले को एक चाल सूझी। वह तालाब के किनारे उदास होकर बैठ गया और भूख से तड़पने लगा। उसे देखकर केकड़ा पास आया और पूछा, “तुम इतने उदास क्यों हो, बगुले भाई?”
बगुले ने कहा, “भाई, मैं अब बूढ़ा हो गया हूं। अब मुझसे मछलियां नहीं पकड़ी जातीं, लेकिन यह मेरा दुख नहीं है। असली दुख तो यह है कि मैंने सुना है कि इस तालाब में जल्द ही सूखा पड़ने वाला है और सभी जीव मर जाएंगे। इसलिए मैं सोच रहा हूं कि अब क्या किया जाए।”
यह सुनकर केकड़ा घबरा गया और उसने बगुले से कहा, “इसका कोई उपाय है क्या?”
बगुले ने चालाकी से कहा, “मैं तो बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन तुम्हारी भलाई के लिए एक उपाय सुझा सकता हूं। पास के एक बड़े तालाब में पानी भरपूर है। मैं तुम्हें वहां ले जा सकता हूं, जहां तुम सुरक्षित रहोगे।”
यह सुनकर सभी मछलियां और अन्य जीव बगुले से कहने लगे कि वह उन्हें उस बड़े तालाब में ले चले। बगुला चालाकी से हर रोज़ एक मछली को अपनी चोंच में उठाकर उड़ता, लेकिन रास्ते में उसे खा जाता। इस तरह वह आराम से भोजन पाता रहा।
एक दिन केकड़े ने भी बगुले से कहा, “मुझे भी उस तालाब में ले चलो।” बगुले ने सोचा कि आज इसका भी काम तमाम कर देता हूं। उसने केकड़े को अपनी चोंच में उठाया और उड़ चला। लेकिन इस बार केकड़े ने देखा कि बगुला उसे तालाब के बजाय एक सूखे स्थान की ओर ले जा रहा है, जहां मछलियों की हड्डियां पड़ी थीं। केकड़े ने बगुले की चाल समझ ली।
केकड़े ने अपनी चतुराई से बगुले की गर्दन पर अपने नुकीले पंजों से जोर से दबाव डाल दिया और बगुले का गला काट दिया। बगुला वहीं ढेर हो गया और केकड़ा सुरक्षित वापस तालाब में लौट आया।
कहानी की सीख:
बुद्धिमानी से अपनी रक्षा करें और धोखेबाज़ों की चालों से सतर्क रहें।
गीदड़ और ढोल – The Jackal and The Drum

बहुत समय पहले की बात है, एक घना जंगल था। उस जंगल में अनेक जानवर रहते थे, जिनमें एक चालाक गीदड़ भी था। एक दिन गीदड़ बहुत भूखा था और भोजन की तलाश में जंगल में इधर-उधर घूम रहा था, लेकिन उसे कहीं कुछ खाने को नहीं मिला।
भटकते-भटकते वह गीदड़ एक सूखे तालाब के पास पहुँचा। वहाँ उसने अचानक एक अजीब सी तेज आवाज सुनी, “धम-धम-धम”। यह आवाज सुनकर गीदड़ डर गया और इधर-उधर देखने लगा। उसने सोचा, “यह कैसी आवाज है? जरूर यहाँ कोई बड़ा और खतरनाक जानवर है, जो इतनी जोर से आवाज कर रहा है।”
गीदड़ डरते-डरते आगे बढ़ा। आवाज़ का पता लगाने के लिए उसने आसपास का जायज़ा लिया। कुछ ही दूर पर उसे एक बड़ा ढोल दिखाई दिया, जो तालाब के पास पड़ा हुआ था। जब तेज हवा चलती थी, तो पास की टहनियाँ उस ढोल पर गिरती थीं, जिससे वह धम-धम की आवाज उत्पन्न होती थी।
पहले तो गीदड़ को समझ नहीं आया कि यह क्या है, परंतु थोड़ी देर ध्यान से देखने के बाद उसे सब समझ में आ गया। उसने सोचा, “ओह! तो यह बड़ी आवाज इसी खाली ढोल से आ रही है। मैं बेवजह डर गया था।” गीदड़ ने राहत की सांस ली और हंसते हुए सोचा, “कभी-कभी, बिना बात के डर से बड़ी मुसीबत लगने वाली चीजें भी साधारण हो सकती हैं।”
अब गीदड़ ढोल के पास निडर होकर गया और उसे ध्यान से देखने लगा। उसने सोचा, “यह तो खाली है, लेकिन अगर मैं गाँव के जानवरों को इसकी आवाज सुना दूँ, तो वे जरूर डर जाएंगे और भाग जाएंगे। तब मुझे आसानी से शिकार मिल सकता है।”
गीदड़ ने अपनी बुद्धिमानी का इस्तेमाल करते हुए ढोल का उपयोग अपने फायदे के लिए किया और शिकार किया। इस तरह गीदड़ ने अपनी भूख मिटाई और यह सब उसकी चतुराई और सोच-समझ का नतीजा था।
कहानी की सीख:
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी चीज़ से डरना नहीं चाहिए, जब तक हम उसे समझ न लें। अक्सर चीजें उतनी खतरनाक नहीं होती जितनी वे दिखाई देती हैं।
बिल्ली, पक्षी और ख़रगोश – The Cat, Bird, and Hare

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक पक्षी रहता था। उसका घर एक बड़े पेड़ के तने में एक छेद में था। वह पक्षी रोज़ाना अपने खाने की तलाश में जंगल के बाहर जाता था और फिर वापस लौटता था।
एक दिन, जब पक्षी खाना ढूंढने के लिए बाहर गया हुआ था, एक ख़रगोश उस पेड़ के पास आया। ख़रगोश ने देखा कि पेड़ के तने में एक आरामदायक जगह है, जहाँ वह रह सकता है। बिना सोचे-समझे ख़रगोश ने उस जगह पर कब्ज़ा कर लिया और वहीं रहने लगा।
जब पक्षी वापस आया, तो उसने देखा कि उसकी जगह पर कोई और रह रहा है। वह गुस्से में बोला, “यह मेरा घर है! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?”
ख़रगोश ने जवाब दिया, “अब मैं यहाँ रह रहा हूँ। यह जगह अब मेरी है, तुम कहीं और जाओ!”
दोनों के बीच बहस शुरू हो गई, और किसी भी तरह से वे इस विवाद का हल नहीं निकाल पाए। आख़िरकार, दोनों ने फैसला किया कि वे किसी तीसरे के पास जाएंगे जो न्याय कर सके।
वे दोनों एक बिल्ली के पास पहुँचे, जो दिखने में बहुत शांत और बुद्धिमान लग रही थी। बिल्ली ने उनकी समस्या सुनी और कहा, “मैं न्याय करूँगी, लेकिन तुम दोनों को मेरे पास आकर अपनी बातें कहनी होंगी।”
दोनों ने बिल्ली पर भरोसा किया और पास आ गए। लेकिन बिल्ली वास्तव में भूखी थी। जैसे ही दोनों उसके पास आए, बिल्ली ने मौका देखकर दोनों को पकड़ लिया। भूखी बिल्ली ने उन पर हमला किया, और उनका अंत कर दिया।
कहानी की सीख:
कभी भी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए, जो स्वार्थी या संदिग्ध हो। अपनी समस्याओं को सोच-समझकर और सही तरीके से हल करना चाहिए, बिना जल्दबाजी में किसी पर विश्वास किए।
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