बच्चों के लिए हिंदी कहानियाँ (Hindi Stories for Childrens) हमेशा से उन्हें मनोरंजन के साथ-साथ महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सिखाने का बेहतरीन तरीका रही हैं। इस पोस्ट में, हम आपके लिए तीन रोचक और नैतिकता से भरी हुई हिंदी कहानियाँ लेकर आए हैं, जो आपके बच्चों को बहुत पसंद आएंगी। ये कहानियाँ सोने से पहले सुनाने के लिए या उनके अंदर कल्पना शक्ति और अच्छे संस्कार पैदा करने के लिए एकदम सही हैं।
चतुर खरगोश और घमंडी शेर – The clever rabbit and the arrogant lion

एक समय की बात है, एक जंगल में एक बड़ा और घमंडी शेर रहता था। वह रोज़ जंगल के जानवरों को पकड़कर खा जाता था, जिससे सभी जानवर डर के साए में जी रहे थे। एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर शेर से बात करने का फैसला किया। उन्होंने शेर से कहा, “महाराज, अगर आप चाहें तो रोज़ हमें मारने के लिए जंगल में नहीं घूमना पड़ेगा। हम खुद हर दिन एक जानवर आपके पास भेज दिया करेंगे।”
शेर ने जानवरों की बात मान ली और अब हर दिन एक जानवर उसे खाने के लिए भेजा जाने लगा। एक दिन बारी आई एक छोटे खरगोश की। खरगोश चतुर था, उसने एक योजना बनाई। शेर के पास जाते समय वह देर से पहुँचा। शेर बहुत गुस्से में था और जोर से गरजा, “तुम इतने देर से क्यों आए?”
चतुर खरगोश ने जवाब दिया, “महाराज, मैं आ तो रहा था, लेकिन रास्ते में एक और शेर मिला जिसने मुझे रोक लिया और कहा कि यह जंगल उसका है।” शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और उसने खरगोश से कहा, “मुझे उस शेर का पता बताओ, मैं उसे अभी मार दूंगा!”
खरगोश शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया और कहा, “वह शेर इसी कुएँ में रहता है।” शेर ने कुएँ में झांका और अपनी ही परछाई देखकर समझा कि दूसरा शेर है। गुस्से में शेर कुएँ में कूद गया और डूबकर मर गया।
सीख: समझदारी और धैर्य से बड़े से बड़े संकट को हल किया जा सकता है।
परियों का जादुई बगीचा – magical garden of fairies

बहुत समय पहले, एक छोटे से गाँव के किनारे पर एक घना जंगल था। लोग कहते थे कि उस जंगल के अंदर एक जादुई बगीचा है, जहाँ परियाँ रहती हैं। लेकिन कोई भी वहाँ जाने की हिम्मत नहीं करता था, क्योंकि रास्ता बहुत मुश्किल था और जंगल में कई रहस्य छिपे थे।
गाँव में मीरा नाम की एक नन्ही लड़की रहती थी। मीरा को परियों की कहानियाँ बहुत पसंद थीं और वह हमेशा सोचती थी कि क्या सच में परियाँ होती हैं। एक दिन, उसने ठान लिया कि वह परियों के जादुई बगीचे को ढूंढने जाएगी। उसने अपनी टोकरी में कुछ रोटियाँ और पानी रखा और जंगल की ओर निकल पड़ी।
जंगल घना और डरावना था, लेकिन मीरा डरने के बजाय उत्सुक थी। चलते-चलते, उसने अचानक एक रोशनी देखी, जो एक पगडंडी से आ रही थी। वह रोशनी की ओर बढ़ी और थोड़ी ही देर में एक सुंदर बगीचे में पहुँची। बगीचा फूलों से भरा था, और उन फूलों से अलग-अलग रंग की रोशनी निकल रही थी। बगीचे के बीचों-बीच एक छोटा सा तालाब था, जिसमें साफ़ पानी चमक रहा था।
मीरा ने तालाब के पास जाकर देखा, तो उसे एक छोटी सी परी तालाब के किनारे बैठी मिली। परी की पंखें बहुत ही सुंदर और चमकीली थीं। परी ने मीरा को देखकर मुस्कराते हुए कहा, “तुम कौन हो और यहाँ कैसे आई?”
मीरा ने कहा, “मेरा नाम मीरा है, और मैं परियों के जादुई बगीचे को ढूंढने आई हूँ। मुझे परियों से मिलना था।”
परी ने हंसते हुए कहा, “तुम बहुत बहादुर हो, मीरा। यह जादुई बगीचा उन्हीं के लिए है, जो सच्चे दिल से विश्वास करते हैं। तुमने अपनी हिम्मत और सच्चे दिल से यहाँ तक का सफर तय किया, इसलिए तुम्हें परियों की दुनिया देखने को मिली।”
मीरा बहुत खुश हुई। परी ने उसे एक जादुई फूल दिया और कहा, “जब भी तुम्हें हमारी ज़रूरत होगी, इस फूल को छूना, और हम तुम्हारी मदद के लिए आ जाएंगे।”
मीरा उस जादुई फूल को लेकर गाँव लौट आई। उसने सभी को परियों के बगीचे की कहानी सुनाई, लेकिन सिर्फ वही जानती थी कि वह कहानी सच थी।
सीख: सच्चे दिल से विश्वास और हिम्मत हो, तो असंभव चीज़ें भी संभव हो जाती हैं।
Read the story of चांदी का पत्ता और जादुई पेड़.
चालाक कछुआ और भूखा लोमड़ी – The turtle and the hungry fox

एक बार की बात है, एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। वह हमेशा भूखी रहती थी और दूसरों को धोखा देकर अपना पेट भरती थी। एक दिन उसे एक कछुआ दिखाई दिया जो धीरे-धीरे अपनी राह पर चल रहा था। लोमड़ी ने सोचा, “आज तो मेरा अच्छा भोजन मिलेगा!” और उसने कछुए से कहा, “अरे कछुए भाई, तुम बहुत धीमे चलते हो। तुम्हें चलने में कोई मज़ा आता है क्या?”
कछुआ समझ गया कि लोमड़ी उसे धोखा देना चाहती है, लेकिन वह शांत रहा। उसने लोमड़ी से कहा, “मुझे तो धीमा चलना ही अच्छा लगता है, लेकिन अगर तुम चाहो तो हम एक दौड़ लगा सकते हैं।” लोमड़ी यह सुनकर हंस पड़ी और बोली, “तुम मेरे साथ दौड़ लगाओगे? तुम मुझे कभी नहीं हरा सकते!”
कछुए ने चालाकी से जवाब दिया, “अगर तुम इतनी तेज हो, तो क्यों न हम दौड़ लगाएं और देख लें?” लोमड़ी तैयार हो गई, और दोनों ने दौड़ शुरू की। लेकिन कछुआ दौड़ने के बजाय सीधे पास के एक तालाब में कूद गया। तालाब में घुसकर कछुआ बोला, “अगर तुम मुझे पकड़ सकती हो, तो मुझे पकड़ लो!”
लोमड़ी तालाब के पास खड़ी होकर देखती रही, लेकिन वह पानी में नहीं जा सकती थी। कछुआ आराम से तालाब में तैर रहा था और मुस्कुरा रहा था। भूखी लोमड़ी निराश होकर बिना कुछ खाए वापस चली गई।
सीख: कभी-कभी अपनी कमजोरी को पहचानकर चतुराई से काम करने में ही असली जीत होती है।
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