एक छोटे से गाँव में रमेश नाम का एक गरीब किसान अपनी पत्नी, सुमन के साथ रहता था। रमेश बहुत मेहनती था, लेकिन उसके खेत में कुछ भी ठीक से नहीं उगता था। फसलें सूख जाती थीं, और खेत में उगी सब्जियाँ भी ज्यादा नहीं होती थीं। रमेश और सुमन इस हालत में जैसे-तैसे अपना गुज़ारा कर रहे थे।
हर रोज़ रमेश खेत में सुबह से शाम तक काम करता, लेकिन उसके हाथ में कुछ नहीं आता। एक दिन, थक-हारकर उसने अपनी पत्नी सुमन से कहा, “अब तो मुझे लगने लगा है कि हमारी किस्मत में सिर्फ संघर्ष ही लिखा है। जितनी मेहनत करता हूँ, उतनी ही परेशानी बढ़ती जाती है।”
सुमन ने हिम्मत बंधाते हुए कहा, “हिम्मत मत हारो, जी। कभी न कभी सब अच्छा होगा। भगवान ने मेहनत करने वालों को कभी खाली हाथ नहीं भेजा।”
रमेश ने उसकी बात सुनी और अगले दिन फिर से खेत में काम करने चला गया। लेकिन उस दिन कुछ अजीब हुआ। खेत की ज़मीन पर उसे एक छोटा सा चमकदार बीज मिला। रमेश ने उसे उठाया और सुमन को दिखाने के लिए घर ले आया।
सुमन ने हैरानी से कहा, “यह बीज बहुत खास लग रहा है। इसे अपने खेत में बोकर देखो, शायद यह हमारी मदद कर सके।”
रमेश ने थोड़ी उम्मीद के साथ बीज को अपने खेत में बो दिया और हर रोज़ उसकी देखभाल करता रहा। कुछ दिनों बाद, उस जगह से एक छोटा सा पौधा निकल आया। रमेश और सुमन खुश हो गए, लेकिन अभी भी उन्हें नहीं पता था कि यह पौधा खास है।
कुछ हफ्तों बाद, वह पौधा एक बड़ा सा पेड़ बन गया, और उसमें रंग-बिरंगे फलों से लदे टहनियाँ निकल आईं। रमेश और सुमन को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा, “यह कैसा पेड़ है?”
जब रमेश ने एक फल तोड़ा, तो पेड़ ने अचानक बोलना शुरू कर दिया, “मैं एक जादुई पेड़ हूँ। मेरे फलों को खाने से तुम्हारी सारी परेशानियाँ खत्म हो जाएंगी। जो तुम चाहोगे, वह सच हो जाएगा!”
रमेश ने पहले यकीन नहीं किया, लेकिन सुमन ने उसे कहा, “चलो, एक बार इसे आजमा कर देखते हैं।”
रमेश ने पेड़ का एक फल खाया और कहा, “काश हमारे खेत में अच्छी फसल उग जाए।” जैसे ही उसने यह कहा, उसके खेत में हरी-भरी फसल उगने लगी। गेहूँ, चावल, सब्जियाँ, और फल एकदम से लहलहाने लगे।
अब रमेश और सुमन की सारी मुश्किलें दूर हो गई थीं। उनके खेत की फसल गाँव में सबसे अच्छी हो गई थी। रमेश और सुमन ने जादुई पेड़ की देखभाल करना शुरू किया और उसकी मदद से खुशहाल जिंदगी जीने लगे।
गाँव के लोग रमेश के खेत को देखकर हैरान थे, और सब उसकी तारीफ़ करते थे। रमेश और सुमन को अब कभी भूख की चिंता नहीं थी, और वे अपने खेत के जादुई पेड़ के साथ खुशी-खुशी रहते थे।