यहाँ आपको **Short Story for Kids in Hindi** के रूप में दिलचस्प और मनोरंजक कहानियों का संग्रह मिलेगा। बच्चों के लिए तैयार की गई ये छोटी कहानियाँ न केवल उनका मनोरंजन करेंगी, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा और जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाएंगी। यदि आप हिंदी में बच्चों के लिए आकर्षक और शिक्षाप्रद कहानियाँ ढूंढ रहे हैं, तो यह संग्रह आपके लिए एकदम सही है।
कौआ और सीपी – The Crow and Oyster

एक समय की बात है, एक भूखा कौआ आकाश में उड़ता हुआ भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था। उसकी नज़र अचानक समुद्र किनारे पड़ी एक सीपी पर पड़ी। कौआ सोचने लगा, “यह सीपी ज़रूर स्वादिष्ट होगी। इसे खा कर मेरी भूख मिट जाएगी।”
वह सीपी के पास उड़कर आया और उसे अपनी चोंच में उठा लिया। लेकिन जैसे ही उसने सीपी को खाने की कोशिश की, उसे पता चला कि सीपी का खोल बहुत सख्त है। कौआ परेशान हो गया और सोचने लगा कि इसे कैसे तोड़ा जाए। उसने कई बार कोशिश की, लेकिन असफल रहा।
तभी उसे एक और चालाक कौए की कहानी याद आई जिसने किसी कठिन चीज़ को ऊँचाई से गिराकर तोड़ा था। वह भी वही तरीका अपनाने की सोचने लगा। कौआ उड़कर एक ऊँचे पेड़ की डाल पर बैठा और वहाँ से सीपी को ज़मीन पर फेंका, लेकिन सीपी का खोल नहीं टूटा।
बार-बार कोशिश करने के बाद भी कौए को सफलता नहीं मिली। तभी वहां एक बूढ़ा सीगुल (समुद्री पक्षी) आया, जो इस तरह के समुद्री जीवों को अच्छे से जानता था। उसने कौए से कहा, “सीपी को खोलने का सही समय होता है, जब यह खुद अपने आप खोलती है। तुझे बस धैर्य से इंतजार करना चाहिए।”
लेकिन लालची और अधीर कौए ने सीगुल की बातों पर ध्यान नहीं दिया। उसने सोचा, “मुझे अब भूख लगी है, मैं और इंतजार नहीं कर सकता।”
कौआ अपनी कोशिशों में लगा रहा और अंततः निराश होकर उड़ गया। कुछ देर बाद जब सीपी ने सूर्य की गर्मी से अपना खोल खोला, तो उसे खाने का अवसर कौआ को नहीं मिला क्योंकि वह वहां नहीं था।
शिक्षा:
धैर्य और समय की प्रतीक्षा करना ही समझदारी है। अधीरता से कार्य करने से सफलता हाथ नहीं लगती।
अंधा गिद्ध और बिल्ली – The Blind Vulture and the Cat

किसी जंगल में एक बूढ़ा और अंधा गिद्ध रहता था। वह बहुत बूढ़ा हो चुका था और शिकार करने में सक्षम नहीं था। इसलिए, जंगल के अन्य पक्षी उसकी मदद करते थे और उसे खाने के लिए कुछ न कुछ दे जाते थे। गिद्ध एक बड़े पेड़ के खोखले में आराम से रहता था और उसे भोजन की कोई चिंता नहीं थी। जंगल के सारे पक्षी उसे बहुत मानते थे क्योंकि वह कभी बहुत ताकतवर शिकारी हुआ करता था।
एक दिन, एक चालाक बिल्ली उस पेड़ के पास आई। उसे गिद्ध के बारे में पता चला और उसने सोचा, “अगर मैं इस गिद्ध को धोखा दे सकूं, तो मुझे बिना मेहनत के यहां भोजन मिल सकता है।” बिल्ली जानती थी कि गिद्ध अंधा है, और उसने एक योजना बनाई।
बिल्ली ने पेड़ के पास जाकर गिद्ध से कहा, “हे महाशय गिद्ध, मैं आपके पास शरण लेने आई हूं। मैं एक साध्वी बिल्ली हूं और मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती। मुझे यहाँ जंगल में बहुत परेशानी हो रही है, और मैं आपसे यह अनुरोध करती हूं कि आप मुझे अपनी शरण में रखें।”
गिद्ध ने कहा, “मैं एक अंधा गिद्ध हूं और अपनी आँखों से कुछ देख नहीं सकता। पर तुम बिल्ली हो, और तुम्हारा स्वभाव तो शिकार करना होता है। मैं तुम पर कैसे विश्वास करूं?”
बिल्ली बहुत मीठे स्वर में बोली, “हे महाशय गिद्ध, अब मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ और साध्वी का जीवन जी रही हूँ। मैं शिकार नहीं करती और दूसरों का अहित नहीं चाहती। मैं तो बस आपकी सेवा करना चाहती हूँ और यहाँ कुछ समय बिताना चाहती हूँ।”
गिद्ध बिल्ली की मीठी बातें सुनकर प्रभावित हो गया और उसने उसे अपनी शरण में रहने की अनुमति दे दी। बिल्ली अब वहाँ रहने लगी और मौका पाकर पास के घोंसलों में रहने वाले छोटे पक्षियों के अंडे और बच्चे खाने लगी। वह बड़ी होशियारी से यह काम करती ताकि गिद्ध को कोई शक न हो।
कुछ दिनों बाद, जंगल के पक्षियों ने देखा कि उनके अंडे और बच्चे गायब हो रहे हैं। उन्होंने सोचा कि गिद्ध ही उनका शिकार कर रहा है, क्योंकि वह उसी पेड़ में रहता था। सभी पक्षी इकट्ठे हुए और गुस्से में गिद्ध से जवाब मांगने लगे।
गिद्ध ने कहा, “मैं अंधा हूं, मैं यह सब कैसे कर सकता हूं?” लेकिन पक्षियों ने उसकी एक न सुनी और उसे दोषी मानते हुए पेड़ से नीचे गिरा दिया। गिद्ध बेचारा, अपनी अंधी हालत में, बिलकुल लाचार हो गया। बिल्ली अपनी चालाकी से वहाँ से भाग गई और दूसरे जंगल की ओर चल पड़ी।
शिक्षा:
दूसरों पर आँख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए।
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