Top 3 Moral Stories in Hindi बच्चों को ईमानदारी, दया और समझदारी जैसे महत्वपूर्ण जीवन मूल्यों से परिचित कराने का एक शानदार तरीका हैं। माता-पिता के लिए, इन कहानियों को सुनाना न केवल बच्चों के साथ एक मजबूत बंधन बनाने का माध्यम है, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाने का भी अवसर है। सबसे प्रसिद्ध कहानियों में पंचतंत्र की कहानियाँ शामिल हैं, जिन्होंने पीढ़ियों से बच्चों का मनोरंजन करते हुए उन्हें ज्ञान दिया है, जैसे ‘बंदर और मगरमच्छ’ और ‘मूर्ख शेर’ की कहानी। ये बच्चों की नैतिक कहानियाँ हिंदी में न केवल रोचक होती हैं, बल्कि बच्चों के मन में गहरी छाप छोड़ती हैं और उन्हें मूल्यवान शिक्षाएँ देती हैं। ऐसी हिंदी कहानियाँ बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक भी होती हैं, जो उनके व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करती हैं।
साँप और मेंढक – The Snake and the Frogs

एक समय की बात है, एक छोटा सा तालाब था, जिसमें बहुत सारे मेंढक रहते थे। तालाब के राजा मेंढक का नाम भोलू था, और वह अपने राज्य से बहुत प्रसन्न और संतुष्ट थे। परंतु तालाब के मेंढकों की संख्या बढ़ती जा रही थी, और धीरे-धीरे सभी मेंढकों में एक प्रकार की घमंड और आलस्य आ गया। वे बिना कारण आपस में झगड़ने लगे और तालाब में शांति भंग हो गई।
उसी तालाब के किनारे एक बूढ़ा साँप रहता था। वह बहुत ही कमजोर हो चुका था और अब शिकार करने में असमर्थ था। एक दिन, भूख से परेशान साँप ने सोचा, “क्यों न मैं इन आलसी और झगड़ालू मेंढकों का फायदा उठाऊं और आराम से भोजन करूं?”
साँप तालाब के पास गया और राजा मेंढक भोलू से बोला, “हे भोलू राजा, मैं अब बूढ़ा हो गया हूँ। मुझसे शिकार नहीं होता। यदि तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे राज्य में एक सेवक के रूप में रह सकता हूँ। मैं तुम्हारे राज्य में रहने वाले छोटे और कमजोर मेंढकों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। तुम चाहो तो मुझे अपने राज्य में अपने सेवक के रूप में रख सकते हो।”
राजा भोलू को साँप की बातों पर यकीन हो गया। उसने सोचा कि अब उसे किसी दुश्मन का डर नहीं रहेगा, क्योंकि अब एक साँप उसके राज्य की रक्षा करेगा। भोलू ने अपने राज्य के मेंढकों को बुलाकर साँप की बात बताई। सभी मेंढकों ने भी सहमति दे दी और सोचा कि इससे उनकी सुरक्षा और ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
साँप ने चालाकी से कुछ दिनों तक कोई भी मेंढक नहीं खाया और सभी मेंढकों की सुरक्षा करता रहा। धीरे-धीरे, जब मेंढकों का भरोसा साँप पर पूरी तरह से जम गया, तब उसने एक-एक करके छोटे मेंढकों को खाना शुरू कर दिया। वह हर रोज एक-एक मेंढक को खा जाता और कोई भी मेंढक उसका विरोध नहीं कर पाता।
राजा भोलू को भी साँप की इस धोखाधड़ी का पता नहीं चला, क्योंकि उसने सोचा था कि साँप उसका वफादार सेवक है। लेकिन जब तालाब में मेंढकों की संख्या बहुत कम हो गई, तब भोलू को एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है।
भोलू ने साँप से कहा, “तुमने मेरे भरोसे का गलत फायदा उठाया और मेरे राज्य के मेंढकों को खा लिया। अब मैं तुम्हें अपने राज्य से निकाल दूंगा।”
साँप ने हँसते हुए कहा, “अब बहुत देर हो चुकी है, राजा भोलू। तुमने मुझ पर भरोसा किया, और यह तुम्हारी भूल थी। अब मैं तालाब का मालिक हूँ।”
इस प्रकार, राजा भोलू की मूर्खता और विश्वासघात ने सारे मेंढकों की जान ले ली, और साँप ने चालाकी से तालाब पर अपना अधिकार जमा लिया।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दुश्मन पर कभी भी अंधविश्वास नहीं करना चाहिए और बिना सोचे-समझे किसी को भी अपने जीवन में प्रवेश नहीं देना चाहिए।
बूढ़ा आदमी और साँप – The Old Man and the Snake

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था, जिसका नाम रामू था। रामू बहुत दयालु और परोपकारी स्वभाव का व्यक्ति था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था। गाँव के लोग उसकी अच्छाई की प्रशंसा करते थे। लेकिन रामू की उम्र अब ढलान पर थी, और वह अब धीरे-धीरे कमजोर होने लगा था।
गाँव के पास एक जंगल था, जहाँ एक खतरनाक और जहरीला साँप रहता था। उसका नाम कालिया था। कालिया के बारे में गाँव के सभी लोग जानते थे और उससे बहुत डरते थे, क्योंकि वह कई लोगों को काट चुका था।
एक दिन, रामू जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने गया। जैसे ही वह पेड़ के पास पहुँचा, उसने देखा कि एक साँप बुरी हालत में पड़ा हुआ है। वह बुरी तरह घायल था और उसकी त्वचा पर कई घाव थे। वह साँप कालिया था। रामू को उस पर दया आ गई, और उसने बिना सोचे-समझे उसकी मदद करने का फैसला किया।
रामू ने कालिया को अपने कपड़े में लपेटा और उसे घर ले आया। उसने साँप की देखभाल की, उसके घावों पर दवाई लगाई और उसे खाना दिया। कुछ दिनों के बाद, साँप धीरे-धीरे ठीक हो गया। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ था।
एक दिन, रामू ने साँप से कहा, “तुम अब ठीक हो चुके हो। तुम्हें जंगल में वापस लौट जाना चाहिए और अपने जीवन को शांति से बिताना चाहिए।”
साँप ने रामू की बात सुनी, लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था। कालिया को अपनी शक्ति और जहरीले स्वभाव पर घमंड था। उसने सोचा, “यह बूढ़ा आदमी मुझे जितना भी अच्छा बर्ताव कर रहा हो, पर मैं एक साँप हूँ और मेरा स्वभाव है काटना। अगर मैं इसे नहीं काटूँगा, तो मेरी प्रकृति का क्या होगा?”
साँप ने कहा, “तुमने मेरी मदद की है, लेकिन मैं अपनी प्रकृति से बंधा हुआ हूँ। चाहे तुमने मुझे बचाया हो, पर मुझे तुम्हें काटना ही पड़ेगा।”
रामू ने उसे समझाते हुए कहा, “मैंने तुम्हारी जान बचाई है। क्या तुम मुझ पर एहसान नहीं कर सकते और अपनी जहरीली आदत को छोड़ नहीं सकते?”
साँप ने ठंडी आवाज़ में कहा, “मैं अपने स्वभाव को नहीं बदल सकता, चाहे कोई भी हो।”
इतना कहते ही, साँप ने रामू को काट लिया। बूढ़ा रामू धरती पर गिर पड़ा। अपनी अंतिम साँसों में उसने कहा, “दुष्ट को चाहे जितनी भी दया दिखाई जाए, वह अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता।”
साँप ने जंगल की ओर वापस जाते हुए कहा, “तुम सही कहते हो, लेकिन मैं अपनी प्रकृति से मजबूर हूँ।”
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि दुष्ट व्यक्ति को चाहे कितनी भी सहायता दी जाए, वह अपनी बुरी आदतें नहीं छोड़ता। हमें हमेशा सतर्क और समझदार रहना चाहिए, और सोच-समझकर ही दूसरों पर विश्वास करना चाहिए।
हिरण, कौआ और सियार – The Deer, the Crow, and the Jackal

बहुत समय पहले, एक घने जंगल में एक सुंदर हिरण और एक चालाक कौआ रहते थे। हिरण का नाम चीकू था, जो अपनी तेज दौड़ने की क्षमता और कोमल स्वभाव के लिए जाना जाता था। कौआ जिसका नाम कालू था, चीकू का सबसे अच्छा दोस्त था। दोनों दोस्त अक्सर जंगल में घूमते, खाते और अपनी जिंदगी खुशी से बिताते।
एक दिन, जंगल में एक सियार आया जिसका नाम मंटू था। मंटू बहुत ही चालाक और धूर्त था। उसने सोचा, “यह हिरण बहुत सुंदर और मोटा है। अगर मैं इसे अपनी चाल में फँसा लूँ, तो इसका मांस मेरे लिए एक बड़ी दावत बन जाएगा।”
मंटू ने चीकू से दोस्ती करने की योजना बनाई। एक दिन, जब चीकू अकेला घास चर रहा था, मंटू ने उसे देखा और पास जाकर बोला, “हे मित्र, तुम कितने सुंदर हो! क्या हम दोस्त बन सकते हैं?”
चीकू सरल स्वभाव का था, और उसने सियार की बात मान ली। मंटू अब चीकू के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा। लेकिन कालू कौआ को मंटू पर भरोसा नहीं था। वह सियार की चालाकी को भाँप चुका था और अपने दोस्त चीकू को आगाह किया, “चीकू, इस सियार से दूर रहो। यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है।”
लेकिन चीकू ने कौआ की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसने सोचा कि मंटू उसका नया दोस्त है और वह कभी उसे नुकसान नहीं पहुँचाएगा।
कुछ दिनों बाद, मंटू ने अपनी चाल को अंजाम देने का फैसला किया। उसने चीकू से कहा, “दोस्त, मैं तुम्हें एक बहुत ही हरी-भरी और स्वादिष्ट घास वाला स्थान दिखाना चाहता हूँ, जहाँ तुम आराम से खा सकते हो।”
चीकू को मंटू की बात सुनकर खुशी हुई और वह उसके साथ जाने के लिए तैयार हो गया। लेकिन कौआ कालू ने उन्हें दूर से देख लिया। उसे मंटू की योजना पर शक हुआ और उसने चुपचाप उनका पीछा किया।
मंटू ने चीकू को एक जाल के पास ले जाकर घास खाने के लिए कहा। जैसे ही चीकू घास खाने के लिए झुका, वह शिकारी के जाल में फँस गया। चीकू घबराकर मदद के लिए चिल्लाने लगा, लेकिन मंटू वहाँ से भाग गया और जंगल में छिप गया, उसकी योजना सफल हो चुकी थी।
कौआ कालू ने यह सब देखा और तुरंत अपनी बुद्धिमत्ता से चीकू को बचाने की योजना बनाई। उसने पास के गाँव से एक शिकारी को आते देखा, जो जाल को देखने आ रहा था। कालू ने शिकारी का ध्यान भटकाने के लिए जोर-जोर से शोर मचाना शुरू किया और उसकी आँखों में झपटने लगा। शिकारी को परेशान होकर रुकना पड़ा, और उसी समय कालू ने चीकू को जाल से बाहर निकलने का इशारा किया।
चीकू ने कौआ की समझदारी से जाल को काटकर बाहर निकलने की कोशिश की, और कुछ ही देर में वह आज़ाद हो गया। दोनों दोस्त तुरंत वहाँ से भाग गए और जंगल में सुरक्षित स्थान पर पहुँचे।
शिकारी जब वापस आया, तो उसने जाल खाली पाया और गुस्से में वापस चला गया। मंटू की चालाकी असफल हो गई थी।
चीकू ने अपने दोस्त कालू को धन्यवाद दिया और कहा, “तुमने सच में मेरी जान बचाई। मैं समझ गया हूँ कि अच्छे दोस्तों की सलाह को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”
उस दिन के बाद, चीकू और कालू हमेशा साथ रहते थे, और उन्होंने मंटू सियार से हमेशा के लिए दूरी बना ली।
शिक्षा:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि अच्छे दोस्तों की सलाह को हमेशा ध्यान से सुनना चाहिए और बुरे लोगों की बातों में नहीं आना चाहिए। सच्चे दोस्त ही हमारी असली मदद करते हैं।
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