वफादार नेवला – The Loyal Mongoose | Hindi Short Stories

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी और एक नवजात बेटे के साथ रहता था। उनके पास एक पालतू नेवला भी था, जो बहुत वफादार और प्यारा था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी उस नेवले को अपने बेटे की तरह ही प्यार करते थे। नेवला हमेशा उनके बेटे के पास ही रहता था और उसकी देखभाल करता था।

एक दिन, ब्राह्मण खेतों में काम करने के लिए बाहर गया हुआ था और उसकी पत्नी भी पानी लेने के लिए बाहर चली गई थी। घर पर केवल बच्चा और नेवला ही थे। तभी एक विषैला सांप घर में घुस आया और धीरे-धीरे बच्चे के पालने की ओर बढ़ने लगा।

नेवले ने सांप को देखा और तुरंत समझ गया कि यह सांप बच्चे के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। बिना कोई समय गंवाए, नेवले ने सांप पर हमला कर दिया और अपनी पूरी ताकत से लड़ने लगा। थोड़ी देर की लड़ाई के बाद, नेवले ने सांप को मार डाला। सांप का खून नेवले के मुंह और पंजों पर लग गया।

नेवला गर्व से दरवाजे के पास बैठ गया और अपने मालिकों का इंतजार करने लगा। तभी ब्राह्मण की पत्नी घर लौटी। उसने दरवाजे पर नेवले को देखा, जिसके मुंह और पंजों पर खून लगा हुआ था। यह देखकर वह घबरा गई और सोची कि नेवले ने उनके बेटे को नुकसान पहुंचा दिया है।

गुस्से और दुःख में उसने बिना सोचे-समझे पास में रखा एक भारी डंडा उठाया और नेवले पर वार कर दिया। नेवला तुरंत मर गया। इसके बाद वह दौड़कर घर के अंदर गई और देखा कि उनका बेटा सुरक्षित पालने में सो रहा था। पास ही में मरा हुआ सांप पड़ा था।

यह देखकर ब्राह्मण की पत्नी को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने अपनी भावनाओं में बहकर, बिना सच्चाई जाने, उस वफादार नेवले को मार डाला था जिसने उनके बेटे की जान बचाई थी। वह फूट-फूट कर रोने लगी, लेकिन अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था।

सीख:

बिना सोचे-समझे या सच्चाई जाने जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इसका परिणाम बहुत बुरा हो सकता है।

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